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14:53, 9 जुलाई 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुनीता शानू
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
ये कौन है जो चुपके से मुस्कुराया है
तेरा चेहरा है या चाँद निकल आया है
फैल रही है खुशबू फ़िजाओं मे तेरी-
आज हवाओं ने भी तेरा पता बताया है
लगे हैं फूलों के मेले शाखों पर ऎसे
कि जैसे परिन्दा नया कोई आया है
मुझसे मिलकर वो खुश तो बहुत होंगे
मै भी हूँ बेचैन जबसे उनका खत आया है
काग भी बोल रहा था मुंडेर पर कब से
घर पे तुम्हारे ये मेहमान कौन आया है
दिल मचल रहा है जाने किस बात से
कि तुमने हमें कैसा दीवाना बनाया है।
</poem>