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15:10, 9 जुलाई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुनीता शानू
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
तनहा कँटीली
खाली बरतन सी
जिंदगी जब
भर गई अचानक
जूही के फूलों की
महक
खिल गई
अनगिन पुष्प-गुच्छ
अमलतास सी
भिगो गई
शरद पूर्णिमा की
उजली चाँदनी
जिंदगी की राहों में
देखी गुलाब की
खूबसूरती
मखमली पंखुडियाँ
महकती कलियाँ
मगर दिखाई नहीं दिए-
गुलाब की हिफ़ाजत करते
बेहिसाब कांटे...
</poem>