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ओढ़ा दी चूनर / सुनीता शानू

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<poem>
लो छुप गया
चाँद भी अब
चाँदनी के गेसुओं में
महक उठी
रात की रानी
मचल उठा भँवर भी
पंखुडियों में-
खिल गई जब
कलियाँ दीवानी
सनन-सनन
बह चली पवन भी
वादियों में-।

देखो सितारों ने उढ़ा दी
जगमगाती चूनर
ओस की बूँदों पर
तस्वीर कोई दिखने लगी
शरमा कर चाँद से
चाँदनी दूर छिटकने लगी

सुबह-सुबह
पहली किरण ने
ओस की बूँदों से पूछा
दे रहे हैं ये नजारे
किसकी गवाही
कौन उतरा आसमां से
इस जमीं पर
या उढ़ा दी...
रात को
परियों ने अपनी चुनर...
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