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15:39, 9 जुलाई 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुनीता शानू
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
तुम ऎसे तो न थे
पहले कभी
हाँ पहले
जब तुम
तलाशा करते थे बहाने
मेरी
एक झलक पाने को
मेरे घर से होकर
न जाती थी
तुम्हारी राह कोई
फिर भी
तुम उसी रास्ते से
आते-जाते थे।
मेरी बातें मेरी हँसी
सभी कुछ तो था
तुम्हारी पसंद
मगर उस समय
हममें दूरी थी बहुत
कितना बोलती हो तुम
किस-किस बात पर
हँस लेती हो
तुम्हारी यही बात
अच्छी नहीं लगती मुझे
क्या सचमुच
तुम बदल गये हो!
तुम ऎसे तो न थे...
</poem>