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लपट, बोली / ओक्ताविओ पाज़ / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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,
10:10, 12 जुलाई 2019
शब्दों के बिना ।
रूह
रुह
उतरती है,
ज़ुबान खुलती है,
लेकिन शब्द नहीं निकलते :
अनिल जनविजय
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