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होटल / मंगलेश डबराल

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फिलहाल आराम कर रहा था
यही वह जगह है मैंने सोचा
जहाँ लेखकों ने भारी-भरकम उपन्यास लिखे,
जिन्हें वे अपने घरों के कोलाहल में नहीं लिख पाए
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