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होटल / मंगलेश डबराल
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04:54, 18 जुलाई 2019
फिलहाल आराम कर रहा था
यही वह जगह है
—
मैंने सोचा
—
जहाँ लेखकों ने भारी-भरकम उपन्यास लिखे,
जिन्हें वे अपने घरों के कोलाहल में नहीं लिख पाए
अनिल जनविजय
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