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इ लोकतंत्र है? / मनोज झा

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<poem>
इ लोकतंत्र है,
अजी इ शोकतंत्र है।
फी साल बजट मेँ है घाटा,
महँगा भेलो चावल-आटा।
मुद्रास्फिति ऐसन बढलै,
डालर लम्बा रुपया नाटा॥
इ लोकतंत्र है,
अजी इ जोँकतंत्र है।
हर्षद ऐसन है जोँक जहाँ,
घोँटाला पर नै रोक जहाँ।
मनमानी धन के लूट कराके,
पाँच साल पर भोट जहाँ॥
इ लोकतंत्र है,
अजी इ लूट तंत्र है।
मानवाधिकार के रोज बात,
मानव कर्त्तव्य है बोल मात्र।
नेता बढला नीति घटलो
यहाँ राम नाम के साथ साथ॥
इ लोकतंत्र है,
अजी इ लोभतंत्र है।
शिक्षा घटलै, घटलै शिक्षण,
बदली मेँ बढ़लै आरक्षण।
जे देश के युवा बेकार रहल,
ओकर भविष्य होतै कैसन?
इ लोकतंत्र है,
अजी इ शोकतंत्र है।
</poem>
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