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मंच और मचान (लम्बी कविता) / केदारनाथ सिंह
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पर जो भी हो
अब मौके पर मौजूद
टँगे
टाँगों-
कुल्हाड़ों का
रास्ता साफ़ था
एक हल्का सा इशारा और ठक् ...ठक्
अनिल जनविजय
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