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ख़ाली जगह / नवीन रांगियाल

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दुनिया में कितनी हसीन शय मौजुद हैं
ख़ुद दुनिया भी

दुःख जो मन के आसपास मंडराते रहते हैं
गाहे बगाहें उभर आते हैं

जैसे जिगर के पार कोई जगह
जहां प्रेम रहता है छुपकर

वो किताबें जो दिल पर तहों की तरह बिछती जाती हैं
सफ़हों की ख़ुशबू जो बनी रहती है देर तक

सबसे एकांत में की गई प्रार्थनाएँ
या एक तरफ़ जाकर रो लेना

किसी दिलफ़रेब घटना के बाद मिले
वो बेरहम लोग जिनके लिए तुम रोते रहे रातों में

भरी दुनिया में अंधेरे खरीदते रहे जिनके लिए

कोई अकेली
उदास शाम
बेस्वाद शराब के घूंट
गटकने के बाद जोर से भींची गई आंखें

बंद आँखों के पीछे
मुस्कुराती हुई तुम

तुम्हारी देह का नमक याद करना

सबसे दिलनशीं
तुम्हारे नाम में छोटी इ की मात्रा

चाकू की तेज़ धार
जब उसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत हो

जैसे तुम्हारी याद में
शीशे के उस पार देखना
और यह सोचना कि
शीशे से ओस हटाई
तो तुम ओझल हो जाओगी

यह जानना
कि तुम जानते हो
कि जानना क्या होता है

धीमे- धीमे यह समझना कि
तुम्हारी उंगलियों के बीच जो ख़ाली जगह है
वो हाथ थामने के लिए है
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