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राजनीति / कुमार मुकुल

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|रचनाकार= कुमार मुकुल
|संग्रह=​सभ्‍यता और जीवन​
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<poem>
जिन्‍दा रहना हो
तो अडिग रहो

राजनीति चाहेगी
समझौता स्‍वतंत्र विचारों की बलि
तुम्‍हारा झुकाव पुलों की तरह

जनाक्रोश पार जाने को।
</poem>
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