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मंडप / निमाड़ी

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{{KKGlobal}}{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=निमाड़ी}}'''मंडप निमाड़ी लोक गीत'''<br /><br /> 
म्हारा हरिया मंडप माय ज्डाको लाग्यो रे दुई नैना सी [दो बार ]
म्हारा स्स्राजी गाँव का राजवाई म्हारो बाप दिली केरों राज |राज। ज्डाको लाग्यो रे ...........
म्हारी सासु सरस्वती नदी वय ,महारी माय गंगा केरो नीर ज्डाको लाग्यो रे .............
महारी नन्द कड़कती बिजलई ,महारी बैन सरावन तीज |तीज। ज्डाको लाग्यो रे ..............
म्हारो देवर देवुल आग्डो ,म्हारो भाई गोकुल केरो कान्ह|कान्ह। ज्डाको लाग्यो रे .............
म्हारा हरिया मंडप माय ज्डाको लाग्यो रे दुई नैना सी |