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आज भी है शेष है / कविता भट्ट

10 bytes added, 21:20, 16 अगस्त 2019
ध्यान नहीं, मुझे देखना दावा था,
या उसका वचन केवल छलावा था। 
मेरे थे अपने ही भोलेपन,
वह किसी और में था मगन।
किन्तु आज भी है मुझमे शेष है,
वही निष्ठा- प्रेम विशेष है।
मेरे भीतर भी ईश्वर जीवित है,
यह मिथ्या नहीं ,बल्कि सुनिश्चित है।
शत्रुता अच्छी मित्रों ने निभाई