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Kavita Kosh से
नारियल के पेड़ पे, कातिल की गर्दन होगी
पेड़ ऐसे उगेंगे अब, शम्बूक के हर बाग़ानों में
‘बाग़ी’ गर तुम बागबां1 बागबां बनोगे, उस चमन के लिये?हम बग़ावत करेंगे, उस चमन के आशियाने2 आशियाने में
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