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कवि / मरीना स्विताएवा

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ग्रहों, नक्षत्रों ...... सैकड़ों मोड़ों से होती कहानियों की तरह
हाँ और ना के बीच
वह घंटाघर घण्टाघर की ओर से हा‍थ हिलाता हैउखाड़ फेंकता है सब खूँटें और बंधन बन्धन .....
कि पुच्‍छलतारों का रास्‍ता होता है कवियों का रास्‍ता -बहुत लंबी लम्बी कड़ी कारणत्‍व की -यही है उसका सूत्र! ऊपर उठाओ माथा -
निराश होना होगा तुम्‍हें
कि कवियों के ग्रहण का
पूर्वानुमान नहीं लगा सकता कोई पंचांग।पँचाँग।
कवि वह होता है जो मिला देता है ताश के पत्‍ते
गड्डमड्ड गड्ड-मड्ड कर देता है भार और गिनती,
कवि वह होता है जो पूछता है स्‍कूली डेस्‍क से
जो कांट काण्ट का भी खा डालता है दिमाग,
जो बास्‍तील <ref>पेरिस स्थित कारावास, जिसे पेरिस की क्रान्तिकारी जनता ने 1789 में ध्वस्त कर दिया था।</ref> के ताबूत में भी
लहरा रहा होता है हरे पेड़ की तरह,
जिसके हमेशा क्षीण पड़ जाते हैं पद् चिन्‍ह,
न कि झुलसाता हुआ,
उद्ध्ग्नि उद्विग्न लेकिन संतुलितसन्तुलित, शांतशान्त,
यह रास्‍ता टेढ़ा-मेढ़ा
पंचांग पँचाँग या जंत्रियों जँत्रियों के लिए बिल्‍कुल अज्ञात!
</poem>
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