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भरत सा एक बालक भी पकड़ वनराज को लेता।
जहाँ हर साँस में फूले सुमन मन में महकते हैं.,जहां ऋतुराज के पंछी मधुर स्वर में चहकते हैं.हैं।
हमारे देश की धरती बनी है अन्नपूर्णा सी,