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02:21, 22 सितम्बर 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह=
}}
[[Category: ताँका]]
<poem>
1
मन उन्मन
'''तरसे आलिंगन'''
कहाँ खो गए
अब चले भी आओ
परदेसी हो गए !!
2
आकर लौटे,
बन्द द्वार था मिला
भाग्य की बात,
दर्द मिले मुफ़्त में
प्यार माँगे न मिले।
3
टूटते कहाँ
लौहपाश जकड़े
मन व प्राण
मिलता कहाँ मन
जग- निर्जन वन।
</poem>