भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
और कभी कभी
एक युवा सुकुमार आऔति आकृति अस्पष्ट
द्रुतगामी उड़ान में
तुम्हारी पहाड़ियों के आरपार पंख आर-पार पँख पसारती है ।
[1911]
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,235
edits