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यह है !... / कंस्तांतिन कवाफ़ी / सुरेश सलिल
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09:45, 1 अक्टूबर 2019
किन्तु इतनी ज़्यादा लिखाई, इतनी कविताई
यूनानी भाषा में पद-रचना का भयानक तनाव
थकान से चूर-चूर कर डाला इस सबकुछ ने बेचारे कवि
को ।
को।
हाथ किन्तु आए ढाक के तीन पात !
अनिल जनविजय
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