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{{KKRachna
|रचनाकार=आर.पी. शुक्ल
|संग्रह=हाइकु 2009 / आर.पी. शुक्ल
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
धरती नाचे
धुरी पर अपनी
तू काहे पर?
कुर्सी काठ की
तो क्या तू भी काठ है?
ओ रे इंसान
</poem>
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|रचनाकार=आर.पी. शुक्ल
|संग्रह=हाइकु 2009 / आर.पी. शुक्ल
}}
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<poem>
धरती नाचे
धुरी पर अपनी
तू काहे पर?
कुर्सी काठ की
तो क्या तू भी काठ है?
ओ रे इंसान
</poem>