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हाइकु / आर.पी. शुक्ल
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[[Category:हाइकु]]
<poem>
धरती नाचे
धुरी पर अपनी
तू काहे पर?
कुर्सी काठ की
तो क्या तू भी काठ है?
ओ रे इंसान
</poem>
डा० जगदीश व्योम
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