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अन्तर में अनुराग / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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02:39, 1 नवम्बर 2019
पत्थर से हमने चाहा था,फ़ितरत अपनी बदलेगा,
हम टकराकर घायल होंगे, उसको बदल न पाएँगे ।।
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तेरे नयनों के मन्दिर में,घी के दो-दो दीप जले।
तेरे अधरों पर संझा की,मधुर आरती खूब फले।।
वीरबाला
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