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Kavita Kosh से
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आदमी ने कहा — आओ चलें, आगे और आगे
औरत ने कहा— कहा — हाँ चलो, पर थोड़ा सुस्ता लें
नदी किनारे, पर्वत की छांव में
सागर-तट पर, वसन्त-कानन में ।