Changes

<poem>
उनके लिए भी जो रहीं निर्दोष, होकर बन्दिनी
इस भ्रष्ट सामाजिक व्यवस्था के अनल ने में हवि बनी
तपना पड़ेगा आग में, जब चाहते नरपति यही