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यादें / लावण्या शाह

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कितनी दूर घर का अब रस्ता,<br>
कौन वहाँ मेरा अब रस्ता तकता ?<br>
अपने अनुभव की इस पुडिया पुड़िया को,<br>रक्खा है सहेज, सुन ओ मेरी ,गुडिया गुड़िया !<br><br>
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