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{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह=
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
182
'''गंध अनाम'''
'''दे जाती चुपके से'''
'''तेरा पैग़ाम।'''
183
प्राणों में घुले
अलग करूँ कैसे
तुम्हारा नाम ।
184
टूटा घोंसला
न तोड़ चिड़िया का
आँधी हौसला।
185
पूजा के मन्त्र
बदल नहीं पाए
छल का तन्त्र।
186
कभी तो मिलो
सागर में मिलतीं
सरिता जैसे।
</poem>