भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
होते हैं छात्रा जब स्टुडेंट
मास्टर का करते तब अपमान
मास्टर कहलाता तब मस्सय
जहाँ उपमन्यु-आरुणि अंतेवासी
गुरु हुए जब मुनि वशिष्ठ
तब दशरथ पुत्रा पुत्र हुए वनवासी
गुरु का स्थान जब रऽे रखे द्रोणतब एकलव्य जैसा ध्नुधर््र धनुर्धर हुआभेदकर श्वान मुऽ मुख तीर सेद्वापर में ध्ुरंध्र धुरंधर हुआ
होते थे गुरु वैदिक काल में
मास्टर टीचर हाल में
सर की उपाध् िअंग्रेज उपाधि अंग्रेज देते
अपनी कूटनीति चाल में