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शिक्षक : कल और आज / राजकिशोर सिंह

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होते हैं छात्रा जब स्टुडेंट
मास्टर का करते तब अपमान
 
मास्टर कहलाता तब मस्सय
जहाँ उपमन्यु-आरुणि अंतेवासी
गुरु हुए जब मुनि वशिष्ठ
तब दशरथ पुत्रा पुत्र हुए वनवासी
गुरु का स्थान जब रऽे रखे द्रोणतब एकलव्य जैसा ध्नुधर््र धनुर्धर हुआभेदकर श्वान मुऽ मुख तीर सेद्वापर में ध्ुरंध्र धुरंधर हुआ
होते थे गुरु वैदिक काल में
मास्टर टीचर हाल में
सर की उपाध् िअंग्रेज उपाधि अंग्रेज देते
अपनी कूटनीति चाल में
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