Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> उर्वश...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
उर्वशि, रम्भा, मेनका, कभी न होती बूढ ।
यह रहस्य जानें नहीं, ज्ञानी और विमूढ़।
ज्ञानी और विमूढ़ , कौन सा क्रीम लगाती।
च्यवनप्राश या भस्म, न जाने क्या क्या खाती।
कह मुन्ना कविराय, बात यह लगे अचम्भा।
पुरुषों से यह राज, न कहती उर्वशि, रम्भा।।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits