Changes

सत्तू / मुन्ना पाण्डेय 'बनारसी'

716 bytes added, 18:36, 24 दिसम्बर 2019
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुन्ना पाण्डेय 'बनारसी' |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुन्ना पाण्डेय 'बनारसी'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सत्तू जैसा कुछ नहीं,गरमी का आहार ।
आम पुदीना मिर्च की, चटनी हो चटकार ।
चटनी हो चटकार, न कोई तेल मसाला ।
नमक मिलाया और, कचाकच पानी डाला।
रहे हमारे गाँव , एक दादा खरपत्तू ।
कहते मुन्ना सुनो , काट गरमी का सत्तू ।।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits