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18:36, 28 अगस्त 2008 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर
}}
<poem>
:यह मम जीवन-ज्वाला इसको
:तुम धू-धू स्वर में गाने दो !
:प्राणों के सारे अशिव-भाव
:इस ज्वाला में जाएंगे जल,
:जीवन के राग-विराग सभी
:इसमें हो जाएंगे ओझल,
::मन को कलुषित करने वाला
::धूम्र विषैला उड़ जाने दो !
:आँसू मत लाना, आँसू से
:ज्वाला ठंडी पड़ जाएगी,
:आहें मत भरना; आहों से
:वह सीमित ना रह पाएगी,
::इसको तो प्रतिपल जीवन के
::सम्पूर्ण गगन में छाने दो !
:1941