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जगवाळ / ओम बधानी

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छै तु भि हुयाीं गुप चुप,छौं मैभि होयुं चुप-चुप
फूल हमारी माया कु खिललू कनक्वै

मन त्वैमा मैन जब खोली थौ
सोचि द्यौलु जबाब त्वैन बोली थौ
मै सारा लग्यंू बाटु हेरणू छौं,कब तैं रैली सोचणी चुप

जगवाळ म कखी पराण न चलि जौ
तेरि स्याणी मेरा मन म न चलि जौ
गेड़ खोली ज भेद बोली ज, कब तैं रैली सोचणी चुप

न हैंसदू बसंत जाणी न रूझौंद चैमास
मै ख्याल तेरू सोर तेरू बारा मास
बिन बोल्यां औ गौळा भेंट्यै जा, कब तैं रैली सोचणी चुप
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