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ना मांगि लेन / नीता कुकरेती

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कभी ना मगिन मी से मेरु इमान कभी ना मांगिन
देणु तैं छन कै चीज बस्त खोजदु छौं अपणु सामान
तुम मांग लेनी
फुर्सत मां छा त चला दौं छत मां
खुली छन किताबी पढ़न कु वख मा
फोल्यूं च वख इल्मो सामान
तुम मांग लेनी

कमेड़ा का आखर पाटी अर बोल्ख्या
रिंगाले कलम वू थैलू कु बस्ता
सुप्न्यु जुगता ह्वेनी तमाम
स्वीणों मा देख लेनी

माटा कू जीवन माटा की च माया
माटा मा मिलण आखिरी दौं या काया
फुण्ड फूंका लोला गुमान
होली होण खाणी

आस नी रैन्द दुखेरा दिलों मा
खौर्युं कु औलण बिधाता का मुण्ड मा
सुख दुख द्वी दग्ड्या नमान,
औन्दन बारी बारी।

जग्वाल मा छां हम, कभी आली सुबेर
पर देखी चितेणु अब ह्वेगी अबेर
गौं का गौं ह्वेनी विरान,
अब छा पछताणा।
</poem>
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