Changes

नया अतीत लिखोॅ / राहुल शिवाय

1,208 bytes added, 14:23, 18 फ़रवरी 2020
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राहुल शिवाय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राहुल शिवाय
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatNavgeet}}
{{KKCatAngikaRachna}}
<poem>
कानोॅ नै खाली अतीत पर
नया अतीत लिखोॅ

सच के ड्योढ़ी दीया बारी
बैठी गेलै सांझ
तारा नै झलकै एक्को गो
रात लगै छै बांझ
झौड़ गिरे लागै आँखी सेॅ
अहिनोॅ गीत लिखोॅ

खाली खरखाही, बकथोथी
छै सगरो अँधियार
मातुर सच बांचों तोंही तेॅ
भे जैतै उजियार
जे झगड़ै छैए झगड़ै मातुर
तोंहे प्रीत लिखोॅ

मानै छियै मिलै नै छै अब
बंसी केरोॅ टेर
सबा सेर सब्भै छै आबेॅ
नै झलकै इक सेर
छल-बल केॅ नै जीत गिनाबोॅ
सच केॅ जीत लिखोॅ
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits