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10:42, 6 मार्च 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अभिषेक कुमार अम्बर
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<poem>
पीला नीला कि लाल होली में
बरसे रंगे-जमाल होली में।
रंगने को तेरे गाल होली में
भेज देंगे गुलाल होली में।
राधा के पीछे पीछे डोले है
पूरे दिन नंदलाल होली में।
रंग उसको लगा के मानूँगा
आन का है सवाल होली में।
रात दिन सुब्हो-शाम आता है
आपका ही ख़याल होली में।
हो गया जो भी यार होना था
अब न कर तू मलाल होली में।
आज मौक़ा है फिर मिले न मिले
उसको भी रंग डाल होली में।
मन न जाये मचल किसी गुल पे
खुद को 'अम्बर' संभाल होली में।
</poem>