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कवि-1 / मरीना स्विताएवा
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08:45, 27 मार्च 2020
बहुत दूर की बात खींच ले जाती है कवि को ।
ग्रहों, नक्षत्रों
...
... सैकड़ों मोड़ों से होती कहानियों की तरह
हाँ और ना के बीच
वह घण्टाघर की ओर से हाथ हिलाता है
8 अप्रैल 1923
'''मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
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अनिल जनविजय
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