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<poem>
बादलों के जादुई दुर्ग में बह रहे हैं हम ...
कौन जानता हो सकता है कि हम गुज़रे नहीं हैं हों कई स्वर्गों के बीच से ?
चमकती हुई आँखों से कैसे रचूँ मैं वह सब ?
हम समय में गुम हो चुके हैं
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