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16:11, 8 अप्रैल 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वसुधा कनुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
बिछुड़ा मीत
नभ उड़ा विहग
जग की रीत
चैट औ मेल
चार दिन चाँदनी
प्यार है खेल
प्रेम अनोखा
कैमरे करे क़ैद
धोखा ही धोखा
सुख अनंत
मौसम अनुकूल
आया वसंत
</poem>