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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=|अनुवादक=|संग्रह=}}{{KKCatGeet}}<poem>हम करें राष्ट्र आराधन<br>, आराधनहम करें राष्ट्र आराधन<br>, आराधनतन से , मन से , धन से<br>तन मन धन जीवन से<br>हम करें राष्ट्र आराधन<br><br>, आराधन
अन्तर से , मुख से , कृति से<br>निश्छल हो निर्मल मति से<br>श्रद्धा से मस्तक नत से<br>हम करें राष्ट्र अभिवादन<br><br>हम करें राष्ट्र आराधन
अपने हँसते शैशव सेअपने खिलते यौवन सेप्रौढ़ता पूर्ण जीवन सेहम करें राष्ट्र का अर्चनहम करें राष्ट्र अभिवादन<br>का अर्चनहम करें राष्ट्र आराधन<br><br>
अपने हँसते शैशव से<br>अतीत को पढ़करअपने खिलते यौवन से<br>अपना इतिहास उलटकरप्रौढता पूर्ण जीवन से<br>अपना भवितव्य समझकरहम करें राष्ट्र का अर्चन<br><br>चिंतनहम करें राष्ट्र का चिंतनहम करें राष्ट्र आराधन
हमने ही उसे दिया था
सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
माँ जिस पर बैठी सुख से
करती थी जग का शासन
अब काल चक्र की गति से
वह टूट गया सिंहासन
अपना तन मन धन देकर
हम करें राष्ट्र आराधन</poem>
नोट: यह कविता बहुचर्चित टीवी सीरीयल ’चाणक्य’ के एक एपीसोड में प्रयोग में लायी गयी है.