भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फसल / नागार्जुन

No change in size, 15:55, 28 अप्रैल 2020
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
एक के की नहीं, दो के की नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा:
एक के की नहीं, दो के की नहीं,
हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म:
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,132
edits