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<poem>
कभी जब तेरी याद आ जाय जाये है दिलों पर घटा बन के छा जाय जाये है
शबे-यास में कौन छुप कर नदीम<sup>1</sup> मेरे हाल पर मुसकुरा जाय जाये है
महब्बत में ऐ मौत ऐ ‍‍ज़ि‍न्दगी
मरा जाय जाये है या जिया जाय जाये है
पलक पर पसे-तर्के-ग़म<supref>2दुख के आँसू</supref> गाहगाह<ref>कभी</ref> सितारा कोई झिलमिला जाय जाये है
तेरी याद शबहा-ए-बे-ख्‍़वाब में
सितारों की दुनिया बस जाय बसा जाये है
जो बे-ख्‍़वाब रक्खे है ता ज़ि‍न्दगी
वही ग़म किसी दिन सुला जाय जाये है
न सुन मुझसे हमदम मेरा हाल-ज़ार
दिलोदिले-नातवाँ सनसना जाय जाये है
ग़ज़ल मेरी खींचे है ग़म की शराब
पिये है वो जिससे पिया जाय जाये है
मेरी शाइरी जो है जाने-नशात
ग़मों के ख़ज़ाने लुटा जाय जाये है
मुझे छोड़ कर जाय जाये है तेरी याद कि जीने का एक आसरा जाय है
मुझे गुमरही का नहीं कोई ख़ौफ़
तेरे घर को हर रास्ता जाय जाये है  सुनायें तुम्हें दास्ताने-'फ़ि‍राक'मगर कब किसी से सुना जाय है 1- साथी, 2- दुख के आँसू
सुनायें तुम्हें दास्ताने-'फ़ि‍राक़'
मगर कब किसी से सुना जाये है
</poem>
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