भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पुराणी_तस्वीर
 
कागज पर असीर
 
बन जाती है
 
उम्र की एक कब्र
 
कुरेदता हूँ
 
जब भी उसको
 
पूछती है ...... उस्ताद
 
मुझे कैद कर आजाद
 
रहने वाले ...तुम्हारी
 
ताब-ऐ-तासीर
 
तबाह क्यूँ है ?
 
उम्र के .........
 
किस पड़ाव पर हो ?