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07:18, 2 मई 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
'''पेड़ लगाओ'''
पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ
गुरु जी हमको समझाते ।
बिना पेड़ धरती है सूनी
पेड़ सभी हैं खुशियाँ लाते।
मीठे फल और सुन्दर फूल,
छाया देकर सुखी बनाते ।
'''मेरी गुड़िया'''
मेरी भोली गुड़िया रानी
सुनती मुझसे रोज़ कहानी।
आँखें नीली सुन्दर बाल
परियों -जैसी इसकी चाला
बढ़िया जूते-कपड़े पहने
मेरी गुड़िया के क्या कहने !
'''विद्यालय'''
लेकर बस्ता हँसी -खुशी से
विद्यालय में जाते हम ।
मिल-जुलकर हम पढ़ते-लिखते
मिल-जुल करके गाते हम ।
अच्छी-अच्छी बातें ही सब
सदा सीखकर आते हम ।
'''मदारी'''
डुगडुग- डुगडुग डमरू बजता
उछल-उछलकर चले मदारी ।
नाचे बन्दर और बंदरिया
भीड़ देखती उनको सारी।
रूठ बंदरिया घर को जाती
बंदर उसे मनाकर लाता।
कान पकड़कर्। नाक रगड़कर
देखो सबका मन बहलाता ।
'''प्रार्थना'''
हरे-भरे पेड़ और पौधे
हे भगवान् ! बनाए तुमने ।
रंग-बिरंगे ख़ुशबू वाले
अनगिन फूल खिलाए तुमने।
तरह-रतह की बोली वाले
पंछी भी चहकाए तुमने ।
सूरज चाँद रोशनी बाँटे
तारे भी चमकाए तुमने ।
</ poem>