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Kavita Kosh से
मैं नहीं चाहता
कोई झरने के संगीत सा
मेरी हर तान सुनता रहे[[चित्र:IMG2672A.jpg|thumb|250px|Nomaan Shauque]]
एक ऊंची पहाड़ी प' बैठा हुआ
सिर को धुनता रहे।
मुझे इतनी मीठी जुबां की
ज़रुरत नहीं।
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