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तुम और मैं / हिमानी

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<poem>
तुमसे दूर जाने की कई वजह थीं मेरे पास
फिर भी,
मैं तुम्हारे सबसे नजदीक रहना चाहती थी

तुम हर बार,
मेरे दिल पर दस्तक देकर
दुत्कार रहे थे मुझे
मैं, हर बार
तुम्हारा दर्द सहलाना चाहती थी

तुम चाह रहे थे
सब कुछ छिपाना
मैं चाह रही थी जताना

तुम पहले ही
निगल चुके थे
सारी भावनाएं
मैं अब
दांतों तले
हर एक अहसास को
चबा रही थी

तुम, एक अहम शख्सियत बनना चाहते थे
मेरी जिंदगी में
मैं, तुम्हें अपनी दुनिया का
सबसे खास शख्स बनाना चाहती थी

तुम अच्छी तरह जान चुके थे मुझे
कई तरह परख चुकने के बाद
मुझे डर था तुम्हें खोने का
हर परख से पहले

तुम मुझे सिखाकर
खुद भूल गए थे प्यार करना
मैं अब भी सीखे जा रही थी।
</poem>
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