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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=गिरिराज किराडू}}मेज इतनी पुरानी थी कि उसका कोई वर्तमान नहीं था
हमारे बच्चे इतने नये थे कि उनका कोई अतीत नहीं था