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दर जब तेरा आया होगा
मैंने शीश झुकाया होगा ।
बहुत सूरतें होंगी दिलकशहुई भोर सुन रूप तुम्हारा भाया होगा ।ओ मेरे मन के पाखी कट ही गई जब-जब साँसें मेरी लौटींदेखो ये अँधियारी रात गीत तुम्हारा गाया होगा।और भी कट जाएँगी ।  लहरों से हम बचकर निकले धो डालें साथ आओ उदासी तुम्हारा शीतल जल से साया होगा ।रख दूँ सिर पर हाथ मेरे आँगन खुशबू फैलीव्यथाएँ भी घट जाएँगी तुमने ही महकाया होगा ।मैंने तो सोचा था -मिटकर घावों का मरहम बन जाऊँ, वैसे पर कुछ भी तो मिलना नामुमकिनसपनों में भरमाया होगा हो न सका छूकर तेरा तपता माथाअपने सपने तोड़ गए जबमैं दो पल को भी , मुझको धीर बँधाया होगा।तेरे हृदय का ताप  सारे रिश्ते बोझ बने थे तुमने हाथ बँटाया होगा। दुनिया से जब धोखा खायाप्यार तुम्हारा पाया होगा अँधियारे जब घिरकर आएतुमने दीप जलाया होगा।चाहकर धो न सका ।
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