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अभी तो गर्द पैरों तक है, बालों तक नहीं आई
कहो तो लौट जाते हैं…
चलो एक फैसला फ़ैसला करने शजर<ref> दरख्त</ref> की ओर जाते हैं
अभी काजल की डोरी सुर्ख़ गालों तक नहीं आई
ज़बाँ दांतों तलक है, ज़हर प्यालों तक नहीं आई
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