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रंग ए बनारस / प्रकाश उदय

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आवत आटे सावन शुरू होई नहवावन
भोला जाड़े में असाढ़े से परल बाड़ें

एगो लांगा लेखा देह, रखें राखी में लपेट
लोग धो-धा के उघारे पे परल बाड़ें
भोला जाड़े में...

ओने बरखा के मारे, गंगा मारे धारे-धारे
जटा पावें ना सँभारे, होत जले जा किनारे
शिव शिव हो दोहाई, मुँह मारी सेवकाई
उहो देवे पे रिजाइने अड़ल बाड़ें
भोला जाड़े में...

बाते बड़ी बड़ी फेर, बाकी सबका ले ढेर
हाई कलसा के छेद, देखा टपकल फेर
गौरा धउरा हो दोहाई, अ त ढेर ना चोन्हाईं
अभी छोटका के धोवे के हगल बाटे
भोला जाड़े में...

बाड़ू बड़ी गिरिहिथीन, खाली लईके के जिकिर
बाड़ा बापे बड़ा नीक, खाली अपने फिकिर
बाड़ू पथरे के बेटी, बाटे जहरे नरेटी
बात बाटे-घाटे बढ़ल, बढ़ल बाटे
भोला जाड़े में...

सुनी बगल के हल्ला, ज्ञानवापी में से अल्ला
पूछें भईल का ए भोला, महकउला जा मोहल्ला
एगो माइक बाटे माथे, एगो तोहनी के साथे
भाँग दारू गाँजा फेरू का घटल बाटे
भोला जाड़े में...

दुनू जना के भेंटाइल, माने दुख दोहराइल
इ नहाने अँकुआइल, उ अजाने अँउजाइल
इ सोमारे हलकान, उनके जुम्मा लेवे जान
दुख कहले सुनल से घटल बाटे
भोला जाड़े में...
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