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Kavita Kosh से
|रचनाकार=नोमान शौक़
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[[Category:कत'आ]]
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1.
बुझती हुई सिगरेट<br />देर तक दबी रहे उंगलियों में<br />तो जला डालती है<br />स्पर्श की संवेदना<br />
मृत शरीरकितने ही प्रिय व्यक्ति का क्यों न होबदबू देने लगता है थोड़े समय बाद 3. किसी टूटे हुए रिश्ते को <br />अन्तिम साँस तक संभाल कर <br />जीने की चाह से<br />बड़ी नहीं होती<br />
कोई यातना ।
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