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दीपक राग / नोमान शौक़
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|रचनाकार=नोमान शौक़
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एक टूटी हुई आस की<br />
रुक-रुक के चलती नब्ज़ पर<br />
उंगलियां
उंगलियाँ
जला रहा हूं मैं<br />
रात के अनंत अंधियारे में।
अनिल जनविजय
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