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फ़सल ज़हर की रहा काटता, रक्तबीज फिर -फिर उग आए,
इस दुनिया से जब चलना हो, में पुष्प बीज कुछ बो जाऊँ ।
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ज़िन्दगी में जिसने भी की ज़फ़ा, याद आया ।
एक नहीं मुझे वह हज़ार दफ़ा याद आया।
तुमने जो हाथ थामा पक्का दिया भरोसा ।
रह-रहकरके मुझे हर बेवफ़ा याद आया ।
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