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11:04, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
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<poem>
बादळां नैं कैवो
बरसणो है तो
बरसो चुपचाप
मरुधर री तिरस
अबार सूती है
थांरी ई उडीक में
खोई है थांरै ई सुपनै में
आया हो तो बरस ई जावो
इणरै सुपनै रै साच हुवणै सारू
</poem>
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